सतगुरु गोरख भाखे बानी, देव पितर हम देवत पानी ।
सत गवाही सूरज करे, पूनम चन्दा मावस सरे ।
पितर हो शुकर मनावें, गंगा मैया सुरग पठावें।
कौन कौनसे पितर सुरग गए परसनन भए,
बाल बिरमचारी निपुतरी नाग पितर गिरस्त ब्याए ढयाए ।
रंडुआ मडुआ छोटे बड़े खोटे खरे,
ऊँचे नीचे आगले पीछले पितर परसन्न भए ।
बिरामन छतरी परसन्न भए । वनिक चण्डाल परसन्न भए ।
सबन को सुरग पठावे, लोना जोगन विमान चढ़ावे।
जाओ जाओ पितरदेव सुरग सुख भोगो,
हमे न सताओ जो सताओ तो हनुमान का घोटा खाओ।
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, मंत्र सांचा पिण्ड कांचा फिरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।
इसका प्रयोग पितृपक्ष में किया जाता है। पूर्णिमा के दिन चूने के पांच सात कंकड ले आवे यदि चूने के कंकड नहीं मिले तो चांदी के सर्प बना लावे। उन्हें लकड़ी की चैकी पर सफेद रेशमी वस्त्र बिछाकर स्थापित कर देवें। फिर उनहें दूध दही से स्नान करावें। तत्पश्चात् शुद्ध जल व गंगाजल से स्नान करायें दीप धूपादि से पूजा कर पितरों को चावल की खीर अर्पित करे। पूजा काल में सफेद वस्त्र पहनना चाहिए श्वेत पुष्प चढाने चाहिए और सफेद ही आसन होना चाहिए। पितरों का तर्पण करते हुए इस मंत्र का जप करते रहना चाहिए। इस प्रयोग से पितर देव प्रसन्न होते है।
पितर दोष निवारण मंत्राः / pitar dosh nivaran mantra in hindi / Pitra Dosha Remedies / Pitra Dosha
Reviewed by Unknown
on
September 28, 2017
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