21 सितंबर को सुबह 6:15बजे से 10:30बजे तक का समय घर में कलश स्थापना हेतु सबसे अच्छा है। परिस्थितिवश यदि विलम्ब हो जाए तो अभिजित मुहूर्त 11:45 से 12:24 में भी कलश स्थापना कर सकते हैं ।
कलश स्थापना कैसे करें........
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले शुद्ध मिट्टी में जौ बीजें उसके बाद उस मिट्टी पर कलश को स्थापित करें। फिर उस कलश पर स्वस्तिक बनाएं उसके बाद कलश पर मौली बांधें और उसमें जल भरें। कलश में अक्षत, साबुत सुपारी, फूल, पंचरत्न और सिक्का डालें। कलश के ऊपर लाल कपडे में बांधकर नारियल रखें ।
अखंड दीप जलाने का विशेष महत्व........
नवरात्रों में अखंड दीप जलाने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जिस घर में अखंड दीप जलता है वहां माता दुर्गा की विशेष कृपा होती है।लेकिन अखंड दीप जलाने के कुछ नियम हैं, इसमें अखंड दीप जलाने वाले व्यक्ति को जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सोना पड़ता है। किसी भी हाल में ज्योति बुझनी नहीं चाहिए और इस दौरान घर में भी साफ सफाई का खास ध्यान रखा जाना चाहिए।माता दुर्गा नवरात्र में नौ दिनों तक अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। नवरात्र के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है। पहला चैत्र मास में, जिसे चैत्र नवरात्र कहते हैं और दूसरा आश्विन मास में, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं।
कब-कब होगी किस देवी की पूजा............
21 सितंबर को प्रथम दिन शैलपुत्री की पूजा होगी।
22 सितंबर को दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी।
23 सितंबर को तीसरे दिन माता चन्द्रघंटा की पूजा होगी।
24 सितंबर को चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा होगी।
25 सितंबर को पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा होगी।
26 सितंबर को छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा होगी।
27 सितंबर को सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा होगी।
28 सितंबर को आठवें दिन माता महागौरी की पूजा होगी।
29 सितंबर को नौवें दिन माता सिद्धिदात्रि की पूजा होगी।
नोट ....
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे इस मन्त्र का जप नौ दिन तक नियमित रुप से करना अतीव प्रभावशाली व लाभकारी होगा । विशेष समस्याओं के समाधान के लिए मन्त्र साधना अवश्य करें । सही मार्गदर्शन के लिए सम्पर्क करें......
नवरात्रों में अखंड दीप जलाने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जिस घर में अखंड दीप जलता है वहां माता दुर्गा की विशेष कृपा होती है।लेकिन अखंड दीप जलाने के कुछ नियम हैं, इसमें अखंड दीप जलाने वाले व्यक्ति को जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सोना पड़ता है। किसी भी हाल में ज्योति बुझनी नहीं चाहिए और इस दौरान घर में भी साफ सफाई का खास ध्यान रखा जाना चाहिए।माता दुर्गा नवरात्र में नौ दिनों तक अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। नवरात्र के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है। पहला चैत्र मास में, जिसे चैत्र नवरात्र कहते हैं और दूसरा आश्विन मास में, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं।
कब-कब होगी किस देवी की पूजा............
21 सितंबर को प्रथम दिन शैलपुत्री की पूजा होगी।
22 सितंबर को दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी।
23 सितंबर को तीसरे दिन माता चन्द्रघंटा की पूजा होगी।
24 सितंबर को चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा होगी।
25 सितंबर को पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा होगी।
26 सितंबर को छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा होगी।
27 सितंबर को सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा होगी।
28 सितंबर को आठवें दिन माता महागौरी की पूजा होगी।
29 सितंबर को नौवें दिन माता सिद्धिदात्रि की पूजा होगी।
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नवरात्रों में कलश स्थापना हेतु शुभ मुहूर्त
Reviewed by Unknown
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September 20, 2017
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