Shradh (Pitru Paksha) mein kya kare dan: पितृ पक्ष के सोलह दिनों में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म कर पितरों को प्रसन्न किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में दान का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि दान से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और पितृ दोष भी खत्म हो जाते हैं। श्राद्ध में गाय, तिल, भूमि, नमक, घी आदि दान करने की परंपरा है।
इन सभी वस्तुओं को दान करने से अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं। धर्म ग्रंथों में श्राद्ध में दान की गई वस्तु से मिलने वाले फलों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है, लेकिन बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं श्राद्ध में क्या वस्तु दान करने से उसका क्या फल प्राप्त होता है-
1. गाय का दान- धार्मिक दृष्टि से गाय का दान सभी दानों में श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन श्राद्ध पक्ष में किया गया गाय का दान हर सुख और धन-संपत्ति देने वाला माना गया है।
2. तिल का दान- श्राद्ध के हर कर्म में तिल का महत्व है। इसी तरह श्राद्ध में दान की दृष्टि से काले तिलों का दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है।
3. घी का दान- श्राद्ध में गाय का घी एक पात्र (बर्तन) में रखकर दान करना परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी माना जाता है।
4. अनाज का दान- अन्नदान में गेहूं, चावल का दान करना चाहिए। इनके अभाव में कोई दूसरा अनाज भी दान किया जा सकता है। यह दान संकल्प सहित करने पर मनोवांछित फल देता है।
5. भूमि दान- अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो श्राद्ध पक्ष में किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति को भूमि का दान आपको संपत्ति और संतान लाभ देता है। किंतु अगर यह संभव न हो तो भूमि के स्थान पर मिट्टी के कुछ ढेले दान करने के लिए थाली में रखकर किसी ब्राह्मण को दान कर सकते हैं।
6. वस्त्रों का दान- इस दान में धोती और दुपट्टा सहित दो वस्त्रों के दान का महत्व है। यह वस्त्र नए और स्वच्छ होना चाहिए।
7. सोने का दान- सोने का दान कलह का नाश करता है। किंतु अगर सोने का दान संभव न हो तो सोने के दान के निमित्त यथाशक्ति धन दान भी कर सकते हैं।
8. चांदी का दान- पितरों के आशीर्वाद और संतुष्टि के लिए चांदी का दान बहुत प्रभावकारी माना गया है।
9. गुड़ का दान- गुड़ का दान पूर्वजों के आशीर्वाद से कलह और दरिद्रता का नाश कर धन और सुख देने वाला माना गया है।
10. नमक का दान- पितरों की प्रसन्नता के लिए नमक का दान बहुत महत्व रखता है।
ब्राह्मणों को दान देते समय यह मंत्र बोलना चाहिए-
यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपोयज्ञक्रियादिषु।
न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम्।।
दान करते समय यह श्लोक बोलकर भगवान विष्णु से श्राद्धकर्म की शुभ फल की प्रार्थना करना चाहिए।
ये है श्राद्ध की सबसे आसान विधि
आश्विन कृष्ण पक्ष में जिस दिन पूर्वजों की श्राद्ध तिथि आए, उस दिन पितरों की संतुष्टि के लिए श्राद्ध विधि-विधान से करना चाहिए। किंतु अगर आप किसी कारणवश शास्त्रोक्त विधानों से न कर पाएं तो यहां बताई श्राद्ध की सरल विधि से भी श्राद्ध कर सकते हैं-
श्राद्ध विधि
सुबह उठकर स्नान कर देव स्थान व पितृ स्थान को गाय के गोबर से लीपकर व गंगाजल से पवित्र करें। घर के आंगन में रांगोली बनाएं। महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं। श्राद्ध का अधिकारी श्रेष्ठ ब्राह्मण (या कुल के अधिकारी जैसे दामाद या बहन का पुत्र आदि) को न्योता देकर बुलाएं। ब्राह्मण से पितरों की पूजा एवं तर्पण आदि करवाएं। पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, दही, घी एवं खीर अर्पित करें। गाय, कुत्ता, कौआ व अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास निकालें। ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं, मुखशुद्धि, वस्त्र, दक्षिणा आदि से सम्मान करें। ब्राह्मण स्वस्तिवाचन तथा वैदिक पाठ करें एवं गृहस्थ एवं पितर के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करें।
श्राद्ध में कौन सी वस्तु दान करने से क्या फल मिलता है?
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September 13, 2017
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